Wednesday 30 March 2016

Yeh kaisi berukhi hai (Song)

मेरा सब कुछ तेरा हो चुका है,
फिर भी तू कहाँ खो गया है,
तुझसे मिलना था लिखा,
फिर भी किससे है तू खफा?

तुझमें है मेरी ज़न्दगी,
दिल की मन्नत है तू ही,
यह कैसी बेरुखी है,
जो तुझे चूर कर रही है?

किया था जो वादा तुझसे,
निभा रही हूँ कब से,
तू है कहीं गुमशुदा,
तुझसे होना न जुदा। 

तेरा चेहरा बदल गया है,
तू पूरी तरह टूट चुका है,
तुझे हौसला देने मैं आई,
तेरे दर्द के लिए मरहम मैं लाई ।

फिर भी तू नाराज़ है,
दबी हुई तेरे अंदर तेरी आवाज़ है,
उसे उभरने दे बाहर,
बदल जाएगा ज़िंदगी का सफ़र। 

अब तू छोड भी दे यह ज़िद,
कुछ नहीं मिलेगा इसे रखके,
हज़ारो खुशियाँ बाँटने से कैसा महसूस होता है,
इस  एहसास को कोई  जता नहीं पाता है। 

हँस भी दे ज़रा,
यूँ बेजान तू है खड़ा,
ज़िंदगी को क्यों दोष दे रहा है,
जब उसी ने तुझे जीना सिखाया है?

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