Sunday 11 August 2019

कभी अगर कुछ चाहूँ तो

यह ज़िन्दगी,
है एक उलझी हुई सी पहेली।
कभी कुछ समझा नहीं,
क्यों होती है यह ऐसी।

हर किसी के दिल में,
भरती हैं ख्वाहिशें ऐसी।
कभी अगर कुछ चाहूँ तो,
मिलती है मुझे सिर्फ सवालों की नदी।

क्यों चाहिए तुम्हें वह चीज़?
क्या करोगी तुम यह खरीद कर?
तुम्हें क्या सच में इसकी है ज़रूरत?
कोई भी चीज़ तुम यूं ही खरीदो मत।

ऐसी मिलती है सलाहें,
कभी मन की सुनो तो डाट खा लेती है यह ख्वाहिशें।
कभी अगर कुछ चाहूँ तो,
होती है मुझसे लोगों को शिकायतें हज़ारों।



©kritsb

Saturday 3 August 2019

हम नहीं रहते, मगर वह रह जाते हैं

यह ज़िन्दगी,
है लम्हों से भरी,
कुछ अच्छे और हसीन हैं,
और कुछ हैं रुलाते भी ।

कई बातें, कई वादे,
हम एक व्यक्ति से कह जाते हैं,
हम नहीं रहते,
मगर वह रह जाते हैं ।

एक लम्हे में,
हम ढूंढते हैं सुकून,
हर मनुष्य को खुश रखें,
ताकि हम साफ मन से आगे बढ़ें ।

किसी को भी,
जान बूझकर मत सताना,
किसी भी व्यक्ति का,
तकलीफ में मज़ाक मत उड़ाना ।

यह बातें छोटी लगती हैं,
मगर बहुत एहमियत रखती हैं,
कड़वी हम बातें न करें तो ही अच्छा है,
किसी के भावनाओं को जो न तोड़े वह ही सच्चा है ।

मृत्यु से पहले हम माफी मांगते हैं,
ठेस पहुँचाया हो, तो मामला सुलझाते हैं,
वक़्त पूरा होने के पहले ही सुधर जाओ,
जितना हो सके उतने अच्छे कर्म करते जाओ ।

ऐसा दिन न आए कभी,
कि हमसे रूठ जाए दुनिया सारी,
कर्म ही हमारी परछाई बन जाती है,
हम नहीं रहते, मगर वह रह जाती है ।