Tuesday 6 October 2015

Dehleez

इस दुनिया में,
हज़ारों दहलीज़ मिलेंगे,
जैसे घर का दहलीज़, दफ्तर का दहलीज़, इत्यादि।

इन सब में प्रवेश करना आसान है,
इनका कोई नियम नहीं,
यहाँ  हर कोई आता-जाता है, कभी भी ।

एक दहलीज़ ऐसी है,
जो हर कोई पार करना चाहता है,
वह 'दरवाज़े' के खुलने का इंतज़ार करता है।

मगर उसे क्या पता,
कि इस 'घर' के हम मालिक हैं ,
उसे चाहे रखें, या इस दिल से हमेशा के लिए निकाल सकते हैं ।

इस चौखट पर कदम,
वही रख सकता है ,
जो प्रेम से बातें करें और वादे निभाए।

इस दहलीज़ को पार करने के लिए,
कुछ नियमों  का अनुगमन करना होगा,
और नर्मी से पेश आना होगा।

यह है दिल की  दहलीज़ ,
जो बहुत नाज़ुक है ,
इसमें हर कोई सामान्य है।

तो फिर, किस बात पर घबराना,
अच्छे हो दिल से, तो अंदर आना,
मगर भविष्य में कभी भी,
इस चौखट के बाहर कदम न  रखना।

न करना इस दिल को शर्मिन्दा,
क्योंकि यह दिल है भोला,
इस दहलीज़ को पार करना ही एक है चुनौती,
यह दिल करता है हर मेहमान  की रखवाली ।

जो भी तुम्हारा दिल कहे,
उसे सुनना ,
कभी भी इसे,
अँधेरे में न रखना।

विश्वास करो इस पर,
मिट जाएगा डर,
हर किसी के लिए बनो उदाहरण,
करो इस अँधेरी दुनिया को रोशन।







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