Thursday 4 February 2016

आग

कहाँ है ऐसी दुनिया,
जहाँ  लोग सच्चे हैं ?
कोई किसी का शत्रु नहीं,
रिश्तों के धागे कच्चे नहीं?

चिंगारी सिर्फ एक ही,
काफी है दरार लाने में ।
कोई क्या समझे इन बंधनों को,
कई अफसर हैं ऐसे जहाँ हम सुलझा सकते हैं उलझनों को।

मगर कोई कोशिश ही नहीं करता,
इस दुनिया में परिवर्तन लाने को।
अपने कष्ट को लेकर ही मग्न है वह,
वह क्या जाने कितना कठिन है रिश्ते भुलाने को।

रिश्ते बनते हैं विश्वास से,
विश्वास बनता है प्रेम से।
प्रेम बनता है मित्रता से,
इन्हीं  भावनाओं की चर्चा है इस दुनिया में ।

आग को बुझाने वाला,
पानी है।
रिश्तों को कायम रखने वाला,
आदमी है।

अगर हमने कष्ट दिया है किसी को,
तो हमें ही उसे मनाना होगा।
कुछ नहीं तो बस उसे गले लग जाओ,
अच्छे कर्म करने का एक बहाना होगा।

चिंगारी से ही आग फैलती है,
उस आग  में सब राख हो जाता है।
पर हमारे पास एक मौक़ा है,
फैसला करो की इस आग में किसे मरना है।

अच्छी और बुरी भावनाएँ,
सब में होती हैं ।
इस आग में बुराई को जला डालो,
मित्रता, सुख, शान्ति और नम्रता ही  जीवन के सबसे कीमती मोती हैं ।

इन मोतियों को गले में पहनकर,
चमकोगे हर बार।
बस इसे फैलाकर,
बुझेगा इस दुनिया में अहंकार ।

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