Saturday 3 August 2019

हम नहीं रहते, मगर वह रह जाते हैं

यह ज़िन्दगी,
है लम्हों से भरी,
कुछ अच्छे और हसीन हैं,
और कुछ हैं रुलाते भी ।

कई बातें, कई वादे,
हम एक व्यक्ति से कह जाते हैं,
हम नहीं रहते,
मगर वह रह जाते हैं ।

एक लम्हे में,
हम ढूंढते हैं सुकून,
हर मनुष्य को खुश रखें,
ताकि हम साफ मन से आगे बढ़ें ।

किसी को भी,
जान बूझकर मत सताना,
किसी भी व्यक्ति का,
तकलीफ में मज़ाक मत उड़ाना ।

यह बातें छोटी लगती हैं,
मगर बहुत एहमियत रखती हैं,
कड़वी हम बातें न करें तो ही अच्छा है,
किसी के भावनाओं को जो न तोड़े वह ही सच्चा है ।

मृत्यु से पहले हम माफी मांगते हैं,
ठेस पहुँचाया हो, तो मामला सुलझाते हैं,
वक़्त पूरा होने के पहले ही सुधर जाओ,
जितना हो सके उतने अच्छे कर्म करते जाओ ।

ऐसा दिन न आए कभी,
कि हमसे रूठ जाए दुनिया सारी,
कर्म ही हमारी परछाई बन जाती है,
हम नहीं रहते, मगर वह रह जाती है ।

No comments:

Post a Comment