Wednesday 27 February 2019

नादानी (गाना)

दुनिया के ज़ख्म यह हँस के भुला दे,
कोई नहीं यह समझे इशारे।
हर वक़्त यह सिर्फ बनाये बहाने,
यह दिल भी है कितना मासूम रे।

हर शहर के लोगों को,
प्यारा लगे इस दिल को।
न कभी फर्क किया है,
सही है क्या, गलत क्या है।

नादानी दिखाए यह हर जगह,
बेपरवाह हुआ अंजामों का।
नादान है, इसे क्या पता,
दुनिया के नफरत की दास्तान।

सब कुछ लगे इसे प्यारा,
मगर यह न पहचाने कौन है क्या।
धोखा भी मिले, क्षमा भी करे,
यह दुश्मनों के हित की दुआ भी करे ।

तोड़ते हैं जो इसका विश्वास,
मौके देकर उनके बदलने का करता है प्रयास ।
मगर यह न जाने,
कौन कब इसे बेवकूफ बना डाले ।

नादानी दिखाए यह हर जगह,
बेपरवाह हुआ अंजामों का।
नादान है इसे, क्या पता,
दुनिया के नफरत की दासता ।

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