Thursday 27 April 2017

तबाही (गाना)

तू मुझे जो मिला है यहाँ,
मिल गयी मेरी ज़िन्दगी की दिशा,
इस कदर मिले हो हमें,
लिख दिए मिलकर तकदीरें |

न आए कभी दूरियाँ हमारे बीच,
कभी न हो रिश्ते में ऊंच-नीच,
करते हैं तेरे लिए दुआ,
साथ रहें हम हर जगह |

कोई न आए अड़चन हम पर,
साथ में कट जाए सफर,
तनहा रहे न कभी हम,
बाटें साथ सारी खुशियाँ और घम |

इतना क्यों खो जाते हैं हम,
चलते-चलते हर कदम,
पूरी तरह समर्पित कर के खुद को,
चल पड़े, जहाँ जन्नत हो |

क्या ख्वाब थे वह,
जहाँ हम सारी दुनिया को,
गलत साबित कर के,
चल पड़ते थे आगे |

सोचा नही था कभी,
कि यहीं होगी ख़त्म ज़िन्दगी,
इस तरह छोड़कर निकल गए,
मेरे सारे अरमान जल गए |

यहीं से हुई,
शुरू मेरी तबाही,
अकेले हर जगह भटकती थी,
मिला नहीं कोई साथी |

कांच की तरह बिखर गया,
इस दिल का हर टुकड़ा,
इन्साफ मिलने में देर है,
मगर नहीं कभी अंधेर है |

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