Tuesday 14 March 2017

बूँद

एक छोटी बूँद,
क्या कर सकती है?
सोचा है क्या तुमने कभी?
क्यों होती है यह ज़रूरी?

बूँदें जब गिरती हैं,
तो बन जाता है सागर ।
वैसे ही अगर हम एकजुट हो जाएँ,
तो कोई न कर सकेगा किसी का अनादर ।

बूँदें सिखाती हैं,
कि साथ रहो ।
कभी न होना जुदा,
क्योंकि उसी का दुश्मन उठाएगा फायदा ।

ज़रुरत पड़ने पर,
लेती है बाढ़ का रूप ।
बाढ़ के सूख जाने के बाद,
क्या सुन्दर, क्या कुरुप?

बूँद बुझाती है,
प्यासे की प्यास ।
मगर वह सजाती है,
गंगा के तट को ।

प्रकृति की सुंदरता,
कितनी अनमोल है ।
हर इच्छा करे  पूरी,
कभी न रहे कोई इच्छा अधूरी ।

बूँदें हैं भगवान की देन,
व्यर्थ न करना इसे ।
आज-कल पानी की है कमी,
एक दिन ऐसा आएगा जहाँ एक बूँद के लिए तरसेगा आदमी । 



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