Tuesday 14 March 2017

यादें (गाना)

कैसे दिल से निकालूँ उन्हें,
हर पल सताती है,
कैसे यकीन दिलाऊँ अपने आप को,
कि यह लौटती नहीं है ।

यादें हैं,
बातें हैं,
हसीन  लम्हे हैं,
शिकायतें भी हैं ।

कुछ देर जो वक़्त बिताऊँ,
अकेले कभी,
झलक दिखती है मुझे,
अपने बीते  हुए कल की ।

वह ललकारें,
वह शरारतें,
वह मस्तियाँ,
वह खिला हुआ चेहरा ।

सब एक किताब में कैद है,
अब वह मासूमियत भी,
खो गयी है कहीं,
लौटेगी न यह कभी ।

वक़्त उड़ता है,
बचपन से जवानी का सफर,
कुछ ऐसा है,
कि सुख अब सिर्फ एक वाक्य रह गया है ।

हर पल, हर घड़ी,
याद आते हैं हमारे शिक्षक,
जिन्होंने हमें काबिल बनाया,
हर मुश्किल से लड़ने के लिए ।

मरते दम तक,
मिटेंगी न यह कभी,
पूरी दुनिया हम पीछे छोड़ जाते हैं,
और सिर्फ यादें ले जाते हैं ।


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