Monday 10 October 2016

Koi Gunjaaish Nahi (Gaana)

तू हो जब साथ मेरे,
न कभी उठे साज़िशें,
तू हो जब साथ मेरे,
परवाह नहीं कहाँ ले जाऐंगी मंज़िलें ।

तुझसे सीखी मैं यह खूबी,
कि कैसे सहते हैं मुश्किलें,
तू है हथियार मेरा,
 जिसके सहारे ढूँढूँ मैं उजाले।

अब तो नफरत की यहाँ,
कोई गुंजाईश नहीं,
डर तो मिट ही गया,
फिर कैसी यह छुपा-छुप्पी ।

दरारें आती हैं,
हर रिश्ते में,
बलिदान करते हैं लोग,
अपने प्यार के लिए।

रूठना-मनाना,
है हर कहानी का हिस्सा,
यह रिश्ता है अनमोल,
जिस तरह है इसका हर लम्हा ।

जुदाई की यहाँ,
कोई गुंजाईश नहीं,
पूरी न  हो ऐसी,
कोई फरमाइश नहीं ।

-कृतिका भाटिया । 

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