Monday 1 August 2016

Mujhse Na Kar Itni Nafrat (Gaana)

है यह समा ऐसा,
प्यार खिलता हो जहाँ,
हर कोइ मग्न  है,
हर जगह।

एक तू और मैं हूँ,
एक दूजे से खफा,
क्यों है तुझे इतनी घृणा,
यह बता।

मुझसे न कर इतनी नफरत,
मैं प्यार करना जानता हूँ,
तूने ही तो सिखाया है,
कि कैसे देते हैं दिल को सुकून ।

मैंने सभी को प्यार दिया,
बदले में कुछ न माँगा,
फिर यह नफरत क्यों?
क्या हुई है मुझसे खता?

अपने साथ मैं,
तुझको खुश रख सकूँगा ,
तुझे दुनिया की हर खुशी,
दे सकूँगा।

है... ये... है... ये...

तू मुझे चाहतों,
में कर दे शामिल,
यह दिल न रह सकेगा,
तुझे किए बिना हासिल।

बाहें मेरी,
खुली हैं तेरे लिए,
हर पल साथ निभाएँगे,
एक दूजे से करेंगे अनगिनत वादे।

तुझे खोना,
मेरे लिए है एक सज़ा,
तू मुझसे कभी भी,
न होना जुदा।

तेरे बिना मैं,
न रह पाऊँगा एक पल भी,
तू वादा कर दे मुझसे,
न छोड़ेगी मुझे कभी ।

तुझे हँसाना,
आता है मुझे,
इतना भी क्या तड़पाना किसे,
एक मुस्कुराहट के लिए।

है... ये... है... ये...






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