Tuesday 31 May 2016

Kaha Tha Sau Baar (Gaana)

कहीं-न-कहीं,
वह बात जुबान  पर आ ही   जाती है,
दिल में जो ख्याल समेट  रहे थे,
वह अंत में हम बोल ही देते हैं ।

कुछ तो करते थे,
उन्हें छुपाने के लिए,
पर वह छुपते न थे,
आँखें उन्हें बयान करते थे।

देखो इन  आँखों में,
क्या कहना चाहता है दिल।
कहा था सौ बार,
मगर उसे समझ ही न  पाए।

कुछ तो  बदल गया था,
आ गया था एक नया समा ।
समय भी अजीब खेल खेलता है,
रातों में फिक्र के गुब्बारे फोड़ता है ।

कहा था कि कभी,
तुम भी जीयो अपने लिए।
अपनों के लिए हम भी जीते हैं,
खुद की भी फिक्र किया करो।

सौ बार तुमसे,
कहेगा यह दिल,
कि जाओ,  जीयो अपनी ज़िंदगी ,
न परवाह करो तुम दुनिया की ।

कहा था सौ  बार,
कि  मौक़ा एक ही है,
इसे सोच-समझकर खर्च करना,
कहीं यह हाथ से निकल न जाए ।

कहा था सौ बार,
कि ज़िंदगी तुम्हारी है,
तुम ही अपने हालत  के लिए ज़िम्मेदार हो,
कोई भी तुम्हारा रखवाला नहीं है।

कहा था  सौ बार,
कि  एक ही पल में ज़िंदगी ढूँढ,
मगर तू ठहरा ज़िद्दी,
हमेशा तूने अपने मन की ही सूनी।

आज तू जिस मुकाम पर  है,
तू ही है उसकी  वजह,
कोई नहीं है तेरे पास,
तेरी ज़िंदगी है एक टूटी आस। 

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