Friday 12 July 2019

घृणा में धुत

आज की पीढ़ी,
है बड़ी सयानी,
हर शौक करे पूरी,
कुछ भी न रहे बाकी |

जब आए काम,
तो करे पूरे मन से,
कोई गुंजाइश न होने दे,
सोचे वो और ख्वाब को टूटने न दे |

मगर आए जब कोई प्रतियोगी,
तो करे उसे परेशान,
कभी भी सोच-समझकर,
नहीं किया कोई भी काम |

आज का हर मनुष्य,
है घृणा में धुत,
काबिल अगर हो कोई,
तो न दे उसे मौका कभी भी |

कामयाबी में बने बाधा,
सारे अवसरों को करे अनदेखा,
यह घृणा ही चूर करता है आशाओं को,
और पैदा करता है नए दुश्मनों को |

करो इसका सर्वनाश,
है यह विघ्न बड़ा,
घृणा में जी कर तुम्हें,
मिलेंगे सिर्फ दुःख-भरे लम्हे | 

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