Monday 27 February 2017

मिलन (गाना)

क्या खूब है यह नज़ारा,
क्या खूब है यह समा,
हम-तुम हो जहाँ  पे,
वहीं मिलता है सितारा।

यह मेरा मन,
मुझसे क्या कह गया,
अब यह मंज़िल,
हो गया है अपना ।

झूमेगा मन,
कुछ इस तरह,
हो  बारिशें बेमौसम,
जब कभी हो हमारा मिलन।

ऋतुएँ बदल जाती हैं,
बदलता है हर लम्हा,
साथ चलने में है ही अलग मज़ा,
कभी न बिछड़ने का किया वादा।

घटाएँ भी बरस गए,
और चाँद भी चमका,
हमारा मिलन कुछ ऐसा हुआ,
कि  सारा संसार हमसे नज़र न हटा पाया।

दिल से मांगी है दुआ,
एक दूसरे के लिए,
आशा है वह पूरा होगा,
साथ बना रहे सदा।

सारी शिकायतों से झूँझते हुए,
हम पहुँचे हैं इस मुकाम पे,
जहाँ सर उठाकर जिया जा सके,
हमारे बीच कभी न आए अड़चनें ।

हमसे प्रेरित हुआ हर जन,
शुद्ध हुआ सबका मन,
ऐसे हैं हमारे  सम्बन्ध,
सबसे अनेक हुआ हमारा मिलन ।

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