मैं एक मुसाफिर हूँ,
मुझे चलते जाना है।
मेरा कोई साथी नहीं ,
मुझे यूँ ही रहना है।
देखे मैंने है कई मोड़,
मुझे गिरा न सका कोई।
मुझे है विश्वास खुद पे,
न मिटा है यह कभी ।
जाता जहाँ,
हर रसता ,
मैं भी कदमों-तले,
चलने लगा।
मुझे न मिला,
सहारा कोई,
मैं तो मंज़िल की ओर,
बढ़ता चला यूँ ही ।
कोई न कर पाया,
मैंने है जो किया।
मुझे समझ न सका कोई,
मैं तो अपने मन की ही करता चला।
मैं एक मुसाफिर हूँ ,
मुझे चलते जाना है।
मेरा कोई साथी नहीं,
मुझे यूँ ही रहना है।
मुझे चलते जाना है।
मेरा कोई साथी नहीं ,
मुझे यूँ ही रहना है।
देखे मैंने है कई मोड़,
मुझे गिरा न सका कोई।
मुझे है विश्वास खुद पे,
न मिटा है यह कभी ।
जाता जहाँ,
हर रसता ,
मैं भी कदमों-तले,
चलने लगा।
मुझे न मिला,
सहारा कोई,
मैं तो मंज़िल की ओर,
बढ़ता चला यूँ ही ।
कोई न कर पाया,
मैंने है जो किया।
मुझे समझ न सका कोई,
मैं तो अपने मन की ही करता चला।
मैं एक मुसाफिर हूँ ,
मुझे चलते जाना है।
मेरा कोई साथी नहीं,
मुझे यूँ ही रहना है।
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