हम और तुम जब मिले,
तो चारों ओर फैले उजाले।
हम और तुम जब मिले,
तो चारों ओर फैले उजाले।
एक-एक पल मस्ती में डूबे,
ऐसे करें हम हंगामे।
रोज़ सुबह नींद में लिपटे,
बेफिक्रे हो कर लेते करवटें।
बाहें फैलाकर करें स्वागत,
चाहे हर पल हो जन्नत या आफ़त।
एक-एक पल मस्ती में डूबे,
ऐसे करें हम हंगामे ।
ज़ोर से चिल्लाएँ एक-दूसरे का नाम,
जब हो, या न हो काम।
धीरे-धीरे शरारतें बढ़ती हैं,
जब हमारे साथ तू लड़ती है ।
एक-एक पल मस्ती में डूबे,
ऐसे करें हम हंगामे ।
सड़कों पर चलें जब हम,
तो लोग हैं देखते हमें,
क्या नौटंकी करते हैं, न पूछो तो अच्छा है,
हम तो मानते हैं कि दिल तो बच्चा है।
एक-एक पल मस्ती में डूबे,
ऐसे करें हम हंगामे ।
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