Tuesday, 22 November 2016

किनारे पर (गाना)

मैं तुम्हें इतना चाहती हूँ,
कि हीरों की चमक भी,
हमारे प्यार के आगे फीकी लगे,
और पूरा स्वर्ग हमें दुआएँ दे। 

दुआएँ दें कि जब हम मिलें,
फूलों की बहार हो,
चाँद-तारे चमके,
और खिल उठे परिन्दे। 

हर रोज़ तुमसे मिलने का,
इंतेज़ार करूँ,
कमी लगे अपनी ज़िन्दगी में कोई अगर,
मैं तुम्हें मिलूँगी जन्नत के किनारे पर। 

जहाँ मौजूद होंगे सारे सपने,
और हाथों-में-हाथ पकड़े हुए,
चलेंगी सारी मंज़िलें,
सब अपनी दासताँ खुद लिखेंगे । 

किनारे पर मिलेंगे हम,
मिलेगा सब कुछ एक साथ,
सारे कसमें-वादे पूरे होकर,
हमें मिलेगा ऊँचा स्तर । 


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