क्यों खोए-खोए हो?
क्यों रो कर सोए हो?
क्या मिला है इस ग़म से?
कैसी ज़िंदगी जी रहे हो?
क्यों ग़म को दिल में बसाते हो?
क्यों स्वयं को सताते हो?
कुछ मुश्किलें आती हैं,
तो उन्हें दिल में क्यों छुपाते हो?
जीवन को सकारात्मक नज़र से देखो,
अपने आप को उसके हवाले कर दो,
तब मिलेगी ख़ुशी,
अपने आप से दोस्ती करो ।
तब मिलेगी तुम्हें राहत,
न माँगोगे कभी कोई इजाज़त,
जीयो ज़िन्दगी अपने दम पर,
क्योंकि यह है तुम्हारी अमानत ।
मिठास ढूंढो हर लम्हे में,
निकलोगे तब तुम ग़म के सदमे से,
रोकर हार मत मान,
निकल हया के परदे से ।
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