हज़ारों लोग मिले,
हज़ारों ख्वाब देखे,
उन ख़्वाबों में,
हज़ारों सवाल उठे।
क्या बना है कोई ?
एक हज़ारों में कभी?
वह व्यक्ति है कहाँ?
ढूँढती रहूँ उसे हर जगह।
जो मुझे समझ सके,
जो मेरी बात सुन सके,
बिन कुछ कहे,
बिन कुछ कहे।
अब तक कोई ऐसा,
मिला कहाँ है मुझे,
पुकारूँ उसे मैं हर कहीं,
सोचूँ उसके बारे में ही।
मगर वह कभी,
मिलेया न मुझे,
मिलेया न मुझे।
साँसें चल रही हैं,
उसी की वजह से,
धड़कन भी है वह ही,
छुपता नहीं है इस जहान से।
दुनिया में ऐसा क्या है,
जो यह मिलन नहीं होने दे रहा है ?
हमेशा रुकावटें लाता है,
हर दम इंतेज़ार करवाता है।
काश ऐसा कुछ हो यहाँ,
जो सालों तक न हुआ,
वह आ जाए फरिश्ते सा,
माँगूँ उस से मैं सारी खुशियाँ।
आँखें करूँ जब बंद,
वह आए, छोड़के सारे संबंध,
बस मेरे लिए वह लाऐ दिल में,
ढेर सारा प्यार और अनगिनत वादे।
मगर वह कभी,
मिलेया न मुझे,
मिलेया न मुझे।
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