यह दुनिया बड़ी मतलबी है,
सिर्फ दूसरों को गिराना जानती है।
न है इसमें दया,
न है इसमें हया।
बड़ी शर्म की बात है,
जब अपने ही छोड़ देते साथ हैं ।
कहते हैं कि हमारे साथ बातें करो,
दुःख-दर्द अपना बाँटो।
मगर जब असली समय आता,
तो यह रंग है बदलता ।
कहेंगे कि अपनी लड़ाई खुद लड़ो,
हमें बीच में मत लाओ ।
किसी का भला करो,
तो इन्हें शामिल करो।
ताकि उन्हें भी कोई बधाई दें,
अपने कर्मों के लिए ।
सुख का जब बादल बरसा,
तो हर मनुष्य इसमें भीगा ।
मगर दुःख का जब साया लहराया,
तो अपनों ने भी मुँह फेरा ।
यही सीख मिली है मुझे,
अपनी ज़िंदगी से।
अब इन्हीं लोगों के साथ,
मैंने जीना सीख लिया।
दूसरों की प्रगति पर रोक लगाना,
यह तो दुनिया वालों की फितरत है।
शिकायत करने में जो पीछे न हटें,
ऐसे हैं यह लोग हमारे ।
इन्हीं लोगों का नमूना देख कर,
हम हैं पले-बड़े।
इनको हम अगर भाव न दें,
तो यह हमें कभी बढ़ने न देंगे।
इसलिए, इन्हें ज़्यादा मूल्य,
मिलना ही नहीं चाहिए ।
कोई बोले जो भी,
उसे दिल में बिठाना नहीं चाहिए ।
सिर्फ दूसरों को गिराना जानती है।
न है इसमें दया,
न है इसमें हया।
बड़ी शर्म की बात है,
जब अपने ही छोड़ देते साथ हैं ।
कहते हैं कि हमारे साथ बातें करो,
दुःख-दर्द अपना बाँटो।
मगर जब असली समय आता,
तो यह रंग है बदलता ।
कहेंगे कि अपनी लड़ाई खुद लड़ो,
हमें बीच में मत लाओ ।
किसी का भला करो,
तो इन्हें शामिल करो।
ताकि उन्हें भी कोई बधाई दें,
अपने कर्मों के लिए ।
सुख का जब बादल बरसा,
तो हर मनुष्य इसमें भीगा ।
मगर दुःख का जब साया लहराया,
तो अपनों ने भी मुँह फेरा ।
यही सीख मिली है मुझे,
अपनी ज़िंदगी से।
अब इन्हीं लोगों के साथ,
मैंने जीना सीख लिया।
दूसरों की प्रगति पर रोक लगाना,
यह तो दुनिया वालों की फितरत है।
शिकायत करने में जो पीछे न हटें,
ऐसे हैं यह लोग हमारे ।
इन्हीं लोगों का नमूना देख कर,
हम हैं पले-बड़े।
इनको हम अगर भाव न दें,
तो यह हमें कभी बढ़ने न देंगे।
इसलिए, इन्हें ज़्यादा मूल्य,
मिलना ही नहीं चाहिए ।
कोई बोले जो भी,
उसे दिल में बिठाना नहीं चाहिए ।
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