तीर ने आखिर,
वार कर ही दिया,
अपने शिकार को,
निशाना बना दिया।
उस निशाने पर,
थी नज़रें टिकी,
उसे ध्यान देखा,
और मंज़िल मिल गई ।
निशाना था तेरा दिल,
उसे जीतना जो था,
आँखों ने भी किया है,
अपनी मंज़िल से सौदा।
जाल में फस जाता है,
यहाँ हर एक बंदा,
उसे बचने की उम्मीद,
रहती है सदा।
मगर क्या करें ,
यह दिल है ही ऐसा,
जो भी मिलता है,
उसे है क़ैद कर लेता।
फिर यहाँ बस जाना,
आसान है मगर,
यहाँ से निकलना,
है एक बहुत बड़ा चक्कर।
जैसे शेर फस जाता है जाल में,
वैसे लोग फस जाते हैं यहाँ,
दरवाज़े बंद कर के बैठ जाता है,
यह कैदी है चतुर बड़ा ।
वार कर ही दिया,
अपने शिकार को,
निशाना बना दिया।
उस निशाने पर,
थी नज़रें टिकी,
उसे ध्यान देखा,
और मंज़िल मिल गई ।
निशाना था तेरा दिल,
उसे जीतना जो था,
आँखों ने भी किया है,
अपनी मंज़िल से सौदा।
जाल में फस जाता है,
यहाँ हर एक बंदा,
उसे बचने की उम्मीद,
रहती है सदा।
मगर क्या करें ,
यह दिल है ही ऐसा,
जो भी मिलता है,
उसे है क़ैद कर लेता।
फिर यहाँ बस जाना,
आसान है मगर,
यहाँ से निकलना,
है एक बहुत बड़ा चक्कर।
जैसे शेर फस जाता है जाल में,
वैसे लोग फस जाते हैं यहाँ,
दरवाज़े बंद कर के बैठ जाता है,
यह कैदी है चतुर बड़ा ।
No comments:
Post a Comment