उँगली पकड़कर जिसने,
चलना सिखाया,
उसको है मेरा सलाम।
बातों में हर वक़्त,
उलझाकर रखने वाली,
घम को भुला भी दिया।
आँसूओं को कभी,
देखकर खुद रो पड़ती,
ऐसी है तेरी ममता।
आँचल में तेरे,
छुप जाऊँगी मैं,
आए मुसीबत अगर।
फिर खुद आगे जाकर,
मेरे लिए लड़ने वाली,
नारी नहीं, देवी है तू ।
कोई भी मेरी,
शिकायत करे तो,
गुस्सा हो जाती है तू।
क्या बुरा, क्या भला है,
यह समझाकर,
मुस्कुरा देती है तू ।
फिर गले लगाकर मुझे,
आँचल में छुपा देती है,
इतना प्यार कैसे देती है तू?
रातों को जागकर,
मेरी फ़िक्र करने वाली,
सब का ख़याल भी रखती है।
आज तक मुझे,
तुझसा कोई न मिला,
तू ही मेरी जन्नत, तू ही मेरी दुनिया।
ईश्वर के रूप में ,
तू है मिली मुझे,
तू न हो तो, क्या है यह जीवन मेरे लिए।
चलना सिखाया,
उसको है मेरा सलाम।
बातों में हर वक़्त,
उलझाकर रखने वाली,
घम को भुला भी दिया।
आँसूओं को कभी,
देखकर खुद रो पड़ती,
ऐसी है तेरी ममता।
आँचल में तेरे,
छुप जाऊँगी मैं,
आए मुसीबत अगर।
फिर खुद आगे जाकर,
मेरे लिए लड़ने वाली,
नारी नहीं, देवी है तू ।
कोई भी मेरी,
शिकायत करे तो,
गुस्सा हो जाती है तू।
क्या बुरा, क्या भला है,
यह समझाकर,
मुस्कुरा देती है तू ।
फिर गले लगाकर मुझे,
आँचल में छुपा देती है,
इतना प्यार कैसे देती है तू?
रातों को जागकर,
मेरी फ़िक्र करने वाली,
सब का ख़याल भी रखती है।
आज तक मुझे,
तुझसा कोई न मिला,
तू ही मेरी जन्नत, तू ही मेरी दुनिया।
ईश्वर के रूप में ,
तू है मिली मुझे,
तू न हो तो, क्या है यह जीवन मेरे लिए।
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