तय नहीं कर पाते हम,
कि मंज़िल मिलेगी या नहीं,
मगर उन राहों पर सफर करना,
है सब के लिए ज़रूरी।
तय नहीं कर पाते हम,
कि तकदीर में कितनी बलाएं हैं,
मगर उनका सामना कैसे करेंगे,
इसकी तरकीब सोच कर आए हैं।
हार तो मानने से रहे हम,
कोशिश अब भी जारी है,
दिल थाम के बैठो दर्शकों,
क्योंकि जल्द आने वाली हमारी बारी है।
© Kritika Bhatia
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