आवारों की तरह,
तूने ही तो दिलाया,
मेरी कदमों को पनाह।
जहां ढूंढ़ती रही थी,
जीने की वजह,
तूने ही तो दिखाई,
जन्नत की राह।
अब तो न रह सकूं मैं तेरे बिन,
तुझसे जुदा होना अब नहीं मुमकिन,
खुशकिस्मत हुई मैं,
तेरा जो मिला सहारा,
खुस्किस्मत हुई मैं,
जब से मिला तेरा इशारा।
मेरी राहों को,
तूने ही तो सजाया,
इन खयालों में,
अब तू ही बसा है यारा।
अब कोई शिकवा,
है नहीं ज़िन्दगी से,
तू जो मिला,
परिचय हुआ दिल्लगी से।
अब तो न रह सकूं मैं तेरे बिन,
तुझसे जुदा होना अब नहीं मुमकिन,
खुशकिस्मत हुई मैं,
तेरा जो मिला सहारा,
खुशकिस्मत हुई मैं,
जब से मिला तेरा इशारा।
© कृतिका भाटिया
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