जब जब मुझे आयी याद तेरी,
एक झौंके की तरह तू गुज़री,
कभी छुआ न था तुझे,
ऐ वक़्त, तू लौटा दे मेरे बचपन के मस्ती-भरे लम्हे।
शिकायत की है तेरी उससे,
कि तू दौड़े जा रहा है,
हम पीछे मुड़े तो,
तेरा साया लहराता जा रहा है।
एक अगर होती आखिरी इच्छा,
तो उन लम्हों को पाना चाहे हम,
क्या पता उन लम्हों में,
अपनी ज़िंदगी को जीने का मक़सद पा लें हम।
एक झौंके की तरह तू गुज़री,
कभी छुआ न था तुझे,
ऐ वक़्त, तू लौटा दे मेरे बचपन के मस्ती-भरे लम्हे।
शिकायत की है तेरी उससे,
कि तू दौड़े जा रहा है,
हम पीछे मुड़े तो,
तेरा साया लहराता जा रहा है।
एक अगर होती आखिरी इच्छा,
तो उन लम्हों को पाना चाहे हम,
क्या पता उन लम्हों में,
अपनी ज़िंदगी को जीने का मक़सद पा लें हम।