यह मासूमियत,
यह जवानी,
ले जाती है हमसे,
हमारी सुकून -भरी ज़िन्दगी |
न जाने कब,
हम हुए जवान,
न जाने कब,
इंसान से बन गए हैवान |
कुछ देर अगर,
सोच में पड़ जाते,
तो शायद ज़िन्दगी,
में हर मुश्किल से लड़ जाते |
कभी नहीं की हमने,
खुदा से शिकायत,
हर देन पर उसकी,
की है उस चीज़ की इज़्ज़त |
न जाने कब,
ऐसी मुश्किलें आ गई,
कि हर कदम सोच में डूबकर,
माँगते थे हम उससे अपनी पुरानी ज़िन्दगी|
कुछ न रहा अब बस में,
प्रार्थनाओं के सिवा,
हर वक़्त, हर घड़ी,
केवल दर्द है मिला |
हैवान तो बन ही गए हम,
अपना हक़ माँगते-माँगते,
खुद को कोसने लगे हम,
सोते-जागते |
न जाने कब,
खुशियाँ बन गई आँसू,
न जाने कब,
बदलेगी इस ज़िन्दगी की हर पहलू |
यह जवानी,
ले जाती है हमसे,
हमारी सुकून -भरी ज़िन्दगी |
न जाने कब,
हम हुए जवान,
न जाने कब,
इंसान से बन गए हैवान |
कुछ देर अगर,
सोच में पड़ जाते,
तो शायद ज़िन्दगी,
में हर मुश्किल से लड़ जाते |
कभी नहीं की हमने,
खुदा से शिकायत,
हर देन पर उसकी,
की है उस चीज़ की इज़्ज़त |
न जाने कब,
ऐसी मुश्किलें आ गई,
कि हर कदम सोच में डूबकर,
माँगते थे हम उससे अपनी पुरानी ज़िन्दगी|
कुछ न रहा अब बस में,
प्रार्थनाओं के सिवा,
हर वक़्त, हर घड़ी,
केवल दर्द है मिला |
हैवान तो बन ही गए हम,
अपना हक़ माँगते-माँगते,
खुद को कोसने लगे हम,
सोते-जागते |
न जाने कब,
खुशियाँ बन गई आँसू,
न जाने कब,
बदलेगी इस ज़िन्दगी की हर पहलू |
No comments:
Post a Comment