Tuesday, 31 May 2016

Saamne Yeh Kaun Aaya?

अंधेरी रात में,
ज़ोरों की बरसात में,
दरवाज़े पर कोई  खटखटाया,
माँ बोली, "देखो तो कौन आया?"

मैंने द्वार खोले,
और वहीं भोलेनाथ बोले,
"वत्स, तुम्हारी क्या इच्छा है?
बोल दो, तुम्हें क्या सता रहा है?"

"प्रभु, मैं आपकी आभारी हूँ,
मैं बहुत भाग्यवान हूँ और आपकी प्रतिक्षा कर रही हूँ।
अब जो आप पधारे हो,
मेरे सारे दुःख दूर कर दो।"

"अवश्य, वत्स,
हमें एक वचन दो, बस,
कि आप कभी किसे रुलाओगे नहीं,
और किसी को भी सताओगे नहीं।"

"क्यों नहीं? ज़रूर,
हमें आप मुश्किलों से रखना दूर,
कोई आफत न आए मेरे परिवार पर,
खुशहाल रहे हमारा छोटा, प्यारा घर।"

दर्शन दे दिए थे उन्होंने,
अब उन्हें क्या दें ?
खान-पान था स्वादिष्ट,
उन्हें अपने परिवार के बारे में किया शिष्ट ।

"अब मैं चलता हूँ ," कह रहे थे,
वे जा रहे थे, बिन कुछ लिए,
उनके दर्शन  नसीबवालों को होते हैं,
दर्द में रोने वालों को होते हैं ।

उनमें श्रद्धा होना अवश्य है,
वे भक्ति को सत्य मानते हैं,
उनका कोई  जुड़वा नहीं ,
वे हैं एक, मगर उनके रूप हैं अनेक।

अचानक गायब हो गए,
मेरे लिए आश्चर्य की बात थी,
उन्हें हराना है नामुमकिन,
आज  तक,कोइ न रह पाया है उनके बिन।


 



No comments:

Post a Comment