इस दिल पर लगे ज़ख्म को मरहम लगाने वाला,
कोई तो होगा।
इस दुनिया में से हमारे दुःख-दर्द को समझने वाला,
कोई तो होगा।
न माँगा कभी खुदा से कुछ भी,
कभी लगा की वह खुद धरती पर पधारेंगे ।
मगर उसे देख और छू नहीं सकते,
फिर वह हमारे आँसूं कैसे पोछेंगे ?
इम्तेहान वह हर किसी का लेता है,
इसमें कोई सफल है और कोई असफल।
हर कोई एक दूजे के लिए बना है,
रास्ते हैं या तो कठिन या तो सरल।
आज तक कभी खुदा को देखा ही नहीं,
कहते हैं लोग कि वह इंसान के रूप में आता है।
मगर इंसान तो हैवान बन जाता है,
तो फिर खुदा किस रूप में अपने आप को छुपाता है?
आज तक उन्हें ढूँढ रही हूँ,
कहाँ छुपे हैं , क्या मालूम।
मिल जाऐंगे, तो गले लगूँगी उनसे,
रो लूँगी जैसे एक बच्चा रोता है, छोटा और मासूम ।
कोई तो होगा।
इस दुनिया में से हमारे दुःख-दर्द को समझने वाला,
कोई तो होगा।
न माँगा कभी खुदा से कुछ भी,
कभी लगा की वह खुद धरती पर पधारेंगे ।
मगर उसे देख और छू नहीं सकते,
फिर वह हमारे आँसूं कैसे पोछेंगे ?
इम्तेहान वह हर किसी का लेता है,
इसमें कोई सफल है और कोई असफल।
हर कोई एक दूजे के लिए बना है,
रास्ते हैं या तो कठिन या तो सरल।
आज तक कभी खुदा को देखा ही नहीं,
कहते हैं लोग कि वह इंसान के रूप में आता है।
मगर इंसान तो हैवान बन जाता है,
तो फिर खुदा किस रूप में अपने आप को छुपाता है?
आज तक उन्हें ढूँढ रही हूँ,
कहाँ छुपे हैं , क्या मालूम।
मिल जाऐंगे, तो गले लगूँगी उनसे,
रो लूँगी जैसे एक बच्चा रोता है, छोटा और मासूम ।
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