Wednesday, 27 November 2019
Sunday, 24 November 2019
Wednesday, 13 November 2019
Expectations vs Reality
Every person has some fantasy,
A world that completes all his needs.
Somewhere, there's lots of satisfaction,
Here, his desires are given heed.
He is free to live,
Free to explore.
No boundaries or limitations,
All ailments have a cure.
When he enters reality,
He is annoyed by the harshness of society.
He is again bundled by norms,
He is again burdened by priorities.
He tries to maintain harmony,
But it turns out to contradict his notions.
This world is too selfish,
These emotionless beings are hard to bring or adopt any transformations.
His wish remains incomplete,
He goes in search of tranquility,
Just to avoid interference,
He prefers to remain lonely.
©️ Kritika Bhatia
Friday, 1 November 2019
इन लहरों का भी क्या कहना
बूंद - बूंद कर के,
एकजुट हो जाती है,
सूखे को भी,
हरियाली में परिवर्तन कर जाती है।
कभी रखी न कोई अभिलाषा,
और न ही की दखलंदाज़ी,
हर वक़्त है यह दिलाती,
एक नज़ारा जो है सबसे अनोखी, सबसे निराली।
प्यास बुझाए हर प्यासे की,
दे हर प्राणी को जिंदगी,
है यह पृथ्वी का गहना,
इन लहरों का भी क्या कहना।
हर बार है यह सौंपती,
अपने आप को,
भलाई का तो ज़माना ही नहीं रहा,
जो भी मिलता है, क्यों उसमें तुम खुश न रह सको?
हद कर दी इस दुनिया ने,
लालच की सीमा पार कर गयी,
सब कुछ छीन लिया कुदरत से,
और फिर भी बेशर्मों की तरह एहसान मांगते गयी?
क्रोध तो आता ज़रूर,
अब तो बदला लेने का वक़्त आ गया,
बाढ़ के रूप में आकर एक - एक को सबक सिखाया,
इन लहरों का भी क्या कहना।
एकजुट हो जाती है,
सूखे को भी,
हरियाली में परिवर्तन कर जाती है।
कभी रखी न कोई अभिलाषा,
और न ही की दखलंदाज़ी,
हर वक़्त है यह दिलाती,
एक नज़ारा जो है सबसे अनोखी, सबसे निराली।
प्यास बुझाए हर प्यासे की,
दे हर प्राणी को जिंदगी,
है यह पृथ्वी का गहना,
इन लहरों का भी क्या कहना।
हर बार है यह सौंपती,
अपने आप को,
भलाई का तो ज़माना ही नहीं रहा,
जो भी मिलता है, क्यों उसमें तुम खुश न रह सको?
हद कर दी इस दुनिया ने,
लालच की सीमा पार कर गयी,
सब कुछ छीन लिया कुदरत से,
और फिर भी बेशर्मों की तरह एहसान मांगते गयी?
क्रोध तो आता ज़रूर,
अब तो बदला लेने का वक़्त आ गया,
बाढ़ के रूप में आकर एक - एक को सबक सिखाया,
इन लहरों का भी क्या कहना।
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